India's another Super Computer
भारत ने एक नया सुपरकंप्यूटपर बनाया है जिसका नाम परम पद्म है और इसकी क्षमता है एक टेराफ़्लॉप.
भारत के सूचना तकनीक मंत्री अरूण शौरी ने कहा कि देश में ही बनाए गया ये सुपरकंप्यूटर भारत की तकनीकी क्षमताओं का सबूत है.
ये सुपरकंप्यूटर बंगलौर स्थित संगठन - सेंटर फ़ॉर डेवलपमेंट ऑफ़ ऐडवांस्ड कंप्यूटिंग या सी-डैक - में विकसित किया गया है.
इसमें कुल एक करोड़ डॉलर की लागत आई.
कंप्यूटर 5 टेट्राबाइट तक के आँकड़ें सहेज सकता है और ये क्षमता बढ़ाकर 22 टेट्राबाइट तक की जा सकती है..
काम
भारतीय सूचनामंत्री अरूण शौरी ने बताया कि नए सुपरकंप्यूटर से भारत की सुरक्षा तैयारियों में काफ़ी मदद मिलेगी.
साथ ही उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल अंतरिक्षविज्ञान में भी हो सकता है.
मगर मुख्य रूप से सुपरकंप्यूटर से जैव तकनीक, मौसम विज्ञान और ऐसे ही कुछ अन्य क्षेत्रों में काम लिया जाएगा.
बंगलौर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस के प्रोफ़ेसर एन बालकृष्णन का कहना है कि परम पद्म के विकास से भारत को सुपरकंप्यूटरों की दुनिया में अग्रणी स्थान मिल गया है.
योजना
अभी नए सुपरकंप्यूटर को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में लाने की योजना बनाई जा रही है.
अधिकारियों का आंकलन है कि वर्ष 2006 तक सुपरकंप्यूटरों का घरेलू बाज़ार पचास करोड़ डॉलर से बढ़कर डेढ अरब से भी ज़्यादा तक पहुँच जाएगा.
भारत ने इसके पहले परम नाम का सुपरकंप्यूटर बनाया था जिसक नवीनतम मॉडेल रूस, कनाडा, सिंगापोर और जर्मनी समेत आठ देशों को बेचा जा चुका है.
भारत ने 1987 में तब ख़ुद सुपरकंप्यूटर के विकास की कोशिश शुरू कर दी जब अमरीका ने उसे क्रे नामक सुपरकंप्यूटर देने से इनकार कर दिया.
अमरीका को इस बात का डर था कि कहीं इस सुपरकंप्यूटर का प्रयोग सैनिक गतिविधियों में ना होने लगे
भारत के सूचना तकनीक मंत्री अरूण शौरी ने कहा कि देश में ही बनाए गया ये सुपरकंप्यूटर भारत की तकनीकी क्षमताओं का सबूत है.
ये सुपरकंप्यूटर बंगलौर स्थित संगठन - सेंटर फ़ॉर डेवलपमेंट ऑफ़ ऐडवांस्ड कंप्यूटिंग या सी-डैक - में विकसित किया गया है.
इसमें कुल एक करोड़ डॉलर की लागत आई.
कंप्यूटर 5 टेट्राबाइट तक के आँकड़ें सहेज सकता है और ये क्षमता बढ़ाकर 22 टेट्राबाइट तक की जा सकती है..
काम
साथ ही उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल अंतरिक्षविज्ञान में भी हो सकता है.
मगर मुख्य रूप से सुपरकंप्यूटर से जैव तकनीक, मौसम विज्ञान और ऐसे ही कुछ अन्य क्षेत्रों में काम लिया जाएगा.
बंगलौर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस के प्रोफ़ेसर एन बालकृष्णन का कहना है कि परम पद्म के विकास से भारत को सुपरकंप्यूटरों की दुनिया में अग्रणी स्थान मिल गया है.
योजना
अभी नए सुपरकंप्यूटर को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में लाने की योजना बनाई जा रही है.
अधिकारियों का आंकलन है कि वर्ष 2006 तक सुपरकंप्यूटरों का घरेलू बाज़ार पचास करोड़ डॉलर से बढ़कर डेढ अरब से भी ज़्यादा तक पहुँच जाएगा.
भारत ने इसके पहले परम नाम का सुपरकंप्यूटर बनाया था जिसक नवीनतम मॉडेल रूस, कनाडा, सिंगापोर और जर्मनी समेत आठ देशों को बेचा जा चुका है.
भारत ने 1987 में तब ख़ुद सुपरकंप्यूटर के विकास की कोशिश शुरू कर दी जब अमरीका ने उसे क्रे नामक सुपरकंप्यूटर देने से इनकार कर दिया.
अमरीका को इस बात का डर था कि कहीं इस सुपरकंप्यूटर का प्रयोग सैनिक गतिविधियों में ना होने लगे
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